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प्रतीक भारत पालोरी, लेखक - “उजला दर्पण”


on Aug 19, 2022
प्रतीक भारत पालोरी,  लेखक - “उजला दर्पण”

लेखक के बारे में:

माँ वीणावादिनी की कृपा से प्रतीक ने अब तक सात पुस्तकें साहित्य एवं पाठक जगत को समर्पित की हैं, जो सभी अलग अलग विशिष्ट विधाओं में हैं। प्रतीक की लेखनी को कुछ ऐसा आशीर्वाद है कि वो गद्य तथा पद्य में शौर्य, हास्य, श्रृंगार एवं सामाजिक चेतना पर एक समान सहजता के साथ लिख पाते हैं। और इसी के साथ उनकी प्रयोगवादी सोच उन्हें नियमित रूप से एक नए विषय एवं प्रारूप में लिखने को प्रेरित करती रहती है। उनकी रचनाओं की ऐसी ही विविधता के कारण उन्हें इण्डिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स २०१९’ में ‘मल्टीफैसेटेड ऑथर’ के रूप में स्थान दिया गया। 

Frontlist : आपने कहानी, निबंध और कविता को एक किताब में क्यों जोड़ा? आप इन तीनों में से किस श्रेणी में लिखना पसंद करते हैं?

प्रतीक: मूल रूप से मैं एक कवि हूँ और कविता में स्वयं को अभिव्यक्त करना मुझे सर्वाधिक प्रिय है। किन्तु प्रत्येक विषय, सन्देश और पाठक के लिए कविता एकमात्र उपयोगी माध्यम नहीं बन पाती है। इसलिए मैं कथा और निबन्ध भी लिखता हूँ। मैं एक प्रयोगधर्मी लेखक हूँ और मेरी सभी पुस्तकें विभिन्न विधाओं में रही हैं। ऐसे ही एक प्रयोग के रूप में एक से अधिक विधाओं की सम्मिलित पुस्तक को मैंने नाम दिया 'कनिका' - कथा, निबन्ध, काव्य। एक ही पुस्तक में तीनों विधाओं और विविध विषयों के आने से ये सभी प्रकार के पाठकों के लिए रुचिकर बन पड़ी है, ऐसा मेरा विश्वास है।

Frontlist : आपने इतनी विविध लेखन शैली कैसे विकसित की? आपको लिखने के लिए क्या प्रेरित करता है?

प्रतीक: विविधता मेरी दुर्बलता भी है और शक्ति भी। मुझे एक ही प्रकार से कोई कार्य करना अच्छा नहीं लगता, चाहे वो बाल बनाना हो या मञ्च पर प्रस्तुति देना। कविताओं में मैंने अनेक प्रकार के प्रयोग किये और भाँति-भाँति की छन्दबद्ध एवं छन्दमुक्त रचनाएँ लिखी। इस क्रम में मैं पढता भी रहता हूँ और अनेक श्रेष्ठ लेखकों को पढ़ते हुए विभिन्न विधाओं में लिखने की इच्छा और प्रेरणा जगती है। किसी भी शैली में लिखने के लिए मैं उसे जी भर कर पढ़ता हूँ और आत्मसात करता हूँ। मेरे लिए लेखन का मूल उद्देश्य होता है समाधान देना। मैं अपनी इस कला का उपयोग व्यक्ति, समाज, संस्थान व देश को उनकी समस्याओं के सहज एवं व्यावहारिक समाधान देने के लिए करना चाहता हूँ और इसी से मुझे लेखन की प्रेरणा मिलती है।

Frontlist : आपकी पुस्तक देशभक्ति, प्रकृति और ईश्वर सहित विभिन्न विषयों को छूती है। आप अपनी पुस्तक के माध्यम से पाठक को कौन-सी महत्वपूर्ण शिक्षा देना चाहते हैं?

प्रतीक: मेरा प्रत्येक रचना में निहित सन्देश या शिक्षा यही है कि व्यक्ति अपने और अपने सम्पूर्ण वातावरण के प्रति सजग, सकारात्मक और सम्वेदनशील रहे। मैं 'संस्कृति का लेखक' कहलाना चाहता हूँ और इसी सोच के साथ अपने सम्वाद की रचना करता हूँ। मैं चाहता हूँ कि एक पाठक मेरी रचनाएँ पढ़ का प्रसन्न और प्रेरित अनुभव करे। मेरा ये दृढ़ विश्वास है कि अन्य की आलोचना के स्थान पर आत्मान्वेषण से हम बहुत कुछ सम्भव बना सकते हैं।  

Frontlist : पूरी किताब हिंदी में होने के बावजूद एक निबंध है जो अंग्रेजी में है जो पाठक को बहुत आश्चर्यचकित करता है। ऐसा करने का उद्देश्य क्या था?

प्रतीक: इस पुस्तक में दो निबन्ध अंग्रेज़ी भाषा में हैं। एक श्रीराम एवं श्रीकृष्ण के सन्दर्भ में और दूसरा कैमरा के सन्दर्भ में। विषय एवं उसके अपेक्षित पाठकों को ध्यान में रखते हुए इन्हें अंग्रेज़ी में लिखा गया था। इसके अतिरिक्त कोई विशेष मंशा नहीं थी। सम्भवतः मेरे मन में ये सुसुप्त इच्छा भी रही हो कि मैं अपना अंग्रेज़ी लेखन का कौशल भी पाठकों के समक्ष रखूँ।

Frontlist : कौन सा एक निबंध, कविता और कहानी है जिसे आप पाठक को सुझाते हैं कि उन्हें निश्चित रूप से पढ़ना चाहिए। 

प्रतीक: अपनी ही रचनाओं में से किसी एक को चुनना तो अपने बच्चों में भेदभाव करने जैसा होगा। मेरे विचार में प्रत्येक पाठक के लिए कोई एक विशेष रचना महत्वपूर्ण या रुचिकर हो सकती है। फिर भी यदि मुझे चुनाव करना ही है तो मैं चाहूँगा कि प्रत्येक पाठक मेरी बाल-कविता 'महत्लाकांक्षी' अवश्य पढ़े। इसमें मेरी शब्द-शक्ति, रचनात्मकता, कल्पनाशक्ति, बाल-मनोविज्ञान की समझ और देशप्रेम का श्रेष्ठ मिश्रण देखने को मिलेगा।

Frontlist : देशभक्ति, एसिड अटैक आदि जैसे संवेदनशील विषयों पर लिखते समय आप किन प्रमुख बिंदुओं का ध्यान रखते हैं?

प्रतीक: मेरा मूल लक्ष्य होता है किसी समस्या एक मौलिक और साहसी हल सुझाना। एक ऐसा हल जो बहुत बार हमारे मन में तो कुलबुलाता है, किन्तु हम अभिव्यक्त नहीं कर पाते हैं।

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